GST क्या है ? तथा इसके आवश्यकता क्या है ?-What Is GST In Hindi ?

DEEPCHAND KUMAR
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इस लेख में आपलोग GST Kya Hai ?(What Is GST In Hindi ?) और भी इनसे सम्बंधित सभी जानकारी के बारे में सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त करेंगे | जैसे -

GST के प्रकार (Types of GST), इसके  लाभ,जीएसटी से हानि क्या-क्या है ?,GST नम्बर किसको लेना अनिवार्य है ?,मित्रों GST के बारे में और भी बहुत  सारी  बातों को जानेंगे | जैसे की Tax क्या होता हैं और यह कितने प्रकार का होता हैं ? तो मित्रों चलिए शरू करते है |

GST क्या है ? तथा इसके आवश्यकता क्या है ?-What Is GST In Hindi ?

GST का पूरा नाम Goods and Service Tax होता है भारत में 1 जुलाई 2017 को इसे लागु किया गया था | यह एक अप्रत्यक्ष कर/लगान व्यवस्था है इसमें प्रत्यक्ष कर को शामिल नहीं किया गया है | प्रत्यक्ष कर जैसे लिया जाता था वैसे GST के आने के बाद भी लिया जाता है | GST सिर्फ अप्रत्यक्ष कर पर लागु होता है |

स्वतंत्रता के बाद GST को लेकर भारत के सबसे बड़ा आर्थिक सुधार बताया गया है यह एक बहुःस्तरिय और गंतव्य आधारित कर है यहाँ पर बहुस्तरीय से आशय या है किसी भी वस्तु के निर्माण से लेकर उपभोक्ता तक जाने में कई चरणों से गुजरना पड़ता है | पहला चरण में कच्चे माल का खरीदना | दूसरा चरण में वस्तु का निर्माण करना |

तीसरा चरण में वस्तु के तैयार होने के बाद उसका भण्डारण या होलसेलर को दिया जाता है | चौथा चरण में वस्तुओ को को खुदरा बिक्रेता को बेचा जाता है | अंतिम में उपभोक्ता को प्रदान कराया जाता है | इन सभी चरणों में कर/लगान चुकाना पड़ता है | और यह कर/लगान कच्चे माल से लेकर उपभोक्ता तक स्थानांतरित होते जाता है |

तो अगर कम से कम शब्दों में कहा जाय तो GST अप्रत्यक्ष कर/लगान वसूल करने का एक नया सिस्टम है जिसके वजह से हमारे देश के सभी राज्यों में एक तरह का विकाश देखने को मिलेगा |


GST Kya Hai ?(What Is GST In Hindi ?)
GST Kya Hai ?(What Is GST In Hindi ?)




Tax क्या होता है और यह कितने प्रकार का होता है ?-What is tax in hindi

किसी भी देश के विकाश के लिए या देश को चालने के लिए जो धनराशि की जरुरत पड़ता उस धनराशि को जमा करने के लिए सरकार द्वारा किसी व्यक्ति या संस्था से जो धनराशि के रूप में जो शुल्क लिया जाता है वही कर/लगान (Tax) कहलाता है | 1860 ई० में ब्रिटिश हुकूमत में जेम्स विलियम के द्वारा भारत में Tax एक्ट को लाया गया था |

सरकारी कार्यो को करने के लिए सरकार के पास धनराशि का होना अति आवश्यक है | सरकार के पास जो धनराशि का जो मुख्य और सबसे अच्छा श्रोत है वह है कराधान (Taxation) इस धनराशि का उपयोग सभी सरकारी कार्यो में किया जाता है |

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कर/लगान (Tax) कितने प्रकार का होता है ? - Types of Tax in hindi

कर/लगान (Tax) दो प्रकार का होता है |

प्रत्यक्ष कर (Direct Tax ) :-

इस कर को किसी व्यक्ति या संस्था को स्वंय सरकार को चुकाना पड़ता है इसमें किसी दुसरे व्यक्ति को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है इस टैक्स का प्रमुख उदाहरण :-

 

  • आय कर (Income Tax) :- यह कर (Tax ) किसी व्यक्ति के आय के ऊपर लगाया जाता है |
  • कैपिटल गेन्स कर (Capital Gains Tax) :-
  • कॉर्पोरेट कर (Corporate Tax) :- यह कर किसी कम्पनी के आय के लगाया जाता है |
  • सम्पति कर (Wealth Tax) :- यह कर (Tax) किसी व्यक्ति के सम्पति के ऊपर लगाया जाता है|
  • उपहार कर (Gift Tax) :- जो उपहार कर (Tax) योग्य है उस व्यक्ति के यह कर लगया जाता है | इत्यादि कर

 

अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax ) :-

इस कर/लगान को सभी प्रकार के वस्त्तुओं और सेवाओं के ऊपर लगाया जाता है | इस कर को दुसरे व्यक्ति के ऊपर स्थानांतरित किया जा सकता है | अगर आप नहीं समझे तो कोई बात नहीं उदाहरण के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं | जैसा की हम जानते हैं इस कर/लगान को वस्त्तुओं और सेवओं पर लगाया जाता हैं |

 

  • उत्पादन शुल्क कर (Excise Duty) :- इस कर को किसी वस्तु के निर्माता (Manufacturer) को देना होता है | जो की थोक विक्रेता (Wholesalers) और खुदरा व्यापारी (Retailer) को स्थानांतरित हो जाता है | यहाँ स्थानांतरित का मतलब है | की निर्माता ने जो टैक्स चुकाया है उसे थोक विक्रेता और खुदरा विक्रेता को देना पड़ता है |
  • बिक्री कर (Sales Tax ) :- खुदरा बिक्रेता  (Retailer) द्वारा इस कर को देना होता है | जो की उपभोक्ता (Consumers) को स्थानांतरित हो जाता है | यहाँ स्थानांतरित का मतलब है की खुदरा बिक्रेता ने जो कर/लगान वस्तु निर्माता को चुकाया था वह कर/लगान अब उपभोक्ता चुकाएगा |
  •  बहिःशुल्क (Custom Duty) :- जब कोई वस्तु देश के बाहर भेजा जाता है तब यह टैक्स लगाया जाता है | इस टैक्स को उपभोक्ता और खुदरा बिक्रेता द्वारा चुकाया जाता है |
  •  मनोरंजन कर (Entertainment Tax) :- इस टैक्स को सिनेमा के मालिक को चुकाना पड़ता है | जो की सिनेमा दर्शक को स्थानांतरित हो जाता है |
  • सेवा कर (Service Tax ) :- यह कर/लगान उपभोक्ता को दी गई सेवा से प्राप्त किया जाता है |

GST क्यों लागु किया गया था ?

GST लागु करने के कई कारण है इसमें जो सबसे बड़ा कारण था वह है “कर पर कर “Cascading Effect” GST के आने के बाद कर के ऊपर कर लगने का जो कारण कारण था | वह ख़त्म हो गया और दूसरा कारण यह था

की अपने देश भारत के सभी राज्यों में वस्तु और सेवा पर अलग-अलग कर/लगान रेट निर्धारित राज्यों के अनुसार किया जाता था | लेकिन GST के आने के बाद वस्तु और सेवा पर सभी राज्यों में अब सामान्य कर/लगान रेट निर्धारित किया गया है | और तीसरा कारण यह था की कर/लगान को संग्रह करने में जो कठिनाई होती थी |

लेकिन GST आने के बाद अब वैसे नहीं है | GST के लागु होने के बाद भारत के सभी राज्य का विकास सामान्य होगा लेकिन पहले ऐसा नहीं था | क्योकि सभी राज्य अलग-अलग कर रेट निर्धारित किया हुआ था जिससे व्यापरियों को बहुत दिक्कत होता था | एकही प्रकार के सामान पर बिहार में अलग कर रेट और उसी सामान पर UP में अलग कर रेट था

इसी वजह से व्यापारी को अपना बिज़नेस करने में कठिनाई होती थी | लेकिन GST के आने से सभी राज्य का कर रेट सामान हो गया है | जिसके वजह से अब व्यापारी को कोई परेशानी नहीं होगी | अब वह किसी भी राज्य में व्यापर सामान कर/लगान रेट पर कर सकता है | इत्यादि कारणों से लागु किया गया |

GST के प्रकार - Types of GST in hindi

GST मुख्य रूप से चार प्रकार के होते है |

  • केन्द्रीय वस्तु एवं सेवा कर (Central Goods and Services Tax):- इसके द्वारा वसूला गया कर/लगान केन्द्र सरकार को जाता है | इसको संक्षेप में CGST कहते है
  •  राज्य वस्तु एवं सेवा कर (State Goods and Services Tax) :-  इसके द्वारा वसूला गया कर/लगान राज्य सरकार को जाता है | इसको संक्षेप में SGST कहते है |
  • एकीकृत वास्तु एवं सेवा कर (Integrated Goods and Services Tax ) :- यह कर/लगान एक राज्य से दुसरे राज्य में वस्तु या सेवा बचने पर लगता है | यह कर/लगान केन्द्र सरकार का होता है | यह कर केन्द्र सरकार ही वशुलते है | इस टैक्स को संक्षेप में IGST कहते है |
  • यूनियन टेरिटरी वस्तु एवं सेवा कर( Union Territory Goods and Services Tax) :- इसको संक्षेप में UTGST कहते है | UTGST और SGST दोनों एक ही प्रकार के टैक्स है लेकिन UTGST को केन्द्र शासित राज्यों में लागु किया जाता है हमारे देश में 7 केन्द्र शासित राज्य है जिनमे यह टैक्स लगता है जैसे – दिल्ली जम्मू और कश्मीर , लदाख,अण्डमान आदि |

 

GST se kya fayda hai - Benefits of GST in hindi

GST कई लाभ हुआ है जिनमे से में कुछ के बारे में आपको बताऊंगा |

उपभोक्ता के लिए :-

 केन्द्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा अप्रत्यक्ष करो को सामान्य रूप से  लिया जाता है जिसे के वजह से ग्राहक को को मॉल या सेवा उचित मूल्य पर प्राप्त  होता है |

 State (राज्य )और (central)केद्र सरकार के लिए :-

राज्य और केंद्र स्तर पर पहले के अप्रत्यक्ष करों को GST के द्वारा प्रतिस्थापित किया जा रहा है | जो की पहले के अप्रत्यक्ष कर के अपेक्षा काफी सरल हो गया है | पहले के कर सिस्टम काफी कठिन था GST को मेन्टेन कर पहले के अलावा काफी आसन हो गया है |

 

उद्योग और व्यवसाय के लिए :-

  • सरल अनुपालन :- भारत में व्यापक और शुद्ध  सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली व्यवस्था स्थापित GST का आधार है | जिसके वजह से GST सम्बंधित जितने भी कार्य है | वो सारे कार्य ऑनलाइन के माध्यम हो होगा जैसे की GST पंजीकरण ,GST का भुकतान आदि कार्य जिनके वजह से व्यापारी को परेशानी नहीं होगी |
  • यह एक ऐसा अप्रत्यक्ष कर है जिनके वजह से भारत एकीकृत बाजार बन गया है |
  • इसके और भी बहुत से लाभ है |

 

GST दर को 5 भागो में बांटा गया है |

  • 0% :- दूध ,दही फल ,सब्जी ,आटा ,ब्रेड इत्यादि खाने -पीने के सामग्री पर 0 % GST रखा गया है |
  • 5% :-घी , डब्बा पैक पनीर ,काफी , दवाई  इत्यादि पर 5 % GST रखा गया है |
  • 12% :- मोबाइल फ़ोन ,सिलाई मशीन ,आयुर्वेद दवाई इत्यादि पर 12 % GST रखा गया है |
  • 18% :- मिनरल वाटर  ,स्पीकर कैक , टेलीकॉम सेवाए , AC इत्यादि पपर 18 %GST रखा गया है |
  • 28% :-Luxury वस्तुए पर 28 % GST रखा गया है |जैसे :- कार , वाशिंग मशीन इत्यादि

GST के हानि - Disadvantages of GST in hindi

GST का अनुपालन करना :- जो व्यापारी नए है या जिसने GST का पंजीकरण नहीं करवाया है उसको पंजीकरण करवान जरुरी है और GST के नियम को बारीकी से समझना परेगा इत्यादि |

 

सॉफ्टवेयर :- GST को मेन्टेन करने के लिए  ERP सॉफ्टवेयर खरीदना पड़ेगा |उसको चालने की जानकारी लेनी होगी या फिर आपको किसी अकाउंटेंट को रखना पड़ेगा | जिसके वजह से आपको व्यय में वृद्धि होगी | इत्यादि

GST से पहले कौन-कौन से Tax देने पड़ते थे ?

जब भारत में GST लागु नहीं हुआ था तब कम्पनी के Nature और माल के हिसाब से टैक्स लगाया जाता था | जैसे- माल के ऊपर VAT  (Value Added Tax ) and CST (Central Sales tax) माल के निर्माण पर Excise Duty , सेवा पर Service Tax , Entertainment पर Entertainment Tax , लेकिन GST के आने के बाद इस सभी टैक्स को GST में Marge दिया गया है | अब किसी भी प्रकार के व्यापार हो या सेवा सभी को एक ही तरह का टैक्स देना होगा | जो कि GST है |

 

GST नम्बर किसको लेना अनिवार्य है ?

GST नम्बर लेने से पहले आपको दो बाते जानना बेहद जरुरी है GST के नियमअनुसार सबसे पहले यह देखा जाता है की आप किस राज्य में है | क्योकि GST के आधार पर राज्य को दो भागो में बांट दिया गया है और दूसरा आपका सालाना Turnover कितना है इसी आधार पर आप GST नम्बर ले सकते है |

राज्य को किस तरह से दो भागो में बांटा गया है ?

सामान्य श्रेणी (Normal Category) :- Delhi , Bihar, Maharashtra , Andhra Pradesh , Gujrat , Haryana , Goa, Punjab , Uttar Pradesh , J&K, Assam , Himachal Pradesh , Karnataka , Madhya Pradesh , Odisha , Rajasthan , Tamil Nadu ,West , Bangal Chattisgarh , Jharkahand , अगर आप इनमे से किसी राज्य में है और आपका सालाना Tornover 40 लाख से अधिक होता है तो उस व्यक्ति को GST लेना अनिवार्य है |

 

विशेष श्रेणी (Special Cotegory ) :- Puducherry  , Arunachal Pradesh , Uttarakhand , Meghalaya , Mizoram ,Tripura , Manipur , Sikkim , Nagaland अगर इनमे से किसी राज्य में है और आपका सालाना Tournover 20 लाख से ज्यादा है तो आपको GST लेना अनिवार्य है |

अगर आप व्यापारी है और एक राज्य से दुसरे राज्य में माल खरीदते हो तो वहाँ पर Tournover और state मायने नहीं रखता क्योकि दुसरे राज्य से माल खरीदने के लिए GST नम्बर का होना आवश्यक है |

 

GST Number कौन सा लेना चाहिए ?

Composition Scheme :-

यह स्कीम छोटे व्यापारी के लिए होता है |

 Composition Scheme For Trading Company :-

जो व्यापारी माल का व्यापार करते है | उसे Trading Company कहा जाता है | कोई व्यापारी अगर इस स्कीम को लेना चाहते है तो इसमें दो बातों पर ध्यान देना बहुत जरूरी हैं | (1) व्यापारी का सालाना Tournover 1.50 करोड़ से ज्यादा नहीं होना चाहिए | (2)  व्यापारी दुसरे राज्य में माल को नहीं बेच सकता है | लेकिन माल खरीद सकता है |

 

Composition Scheme For Service Provider Company :-

जो कंपनी किसी भी प्रकार की सेवा प्रदान करती है वैसे कम्पनी Service Provider Company कहलाता है | ऐसी कम्पनी अगर यह स्कीम लेना चाहता है तो इसका सालाना Tournover 50 लाख से ज्यादा नहीं होना चाहिए |

अगर कोई व्यापारी इस प्रकार के स्कीम लेता है तो इसके कुछ नियम हैं

  • No ITC Available :- इसमें व्यापारी को Input Tax Credit (ITC ) का लाभ नहीं मिलता हैं यानि की जब यह व्यापारी माल या सेवा के खरीदने के Against में जो GST Pay करता है | उसका Input इसे प्राप्त नहीं होगा |
  • No GST Charge :- इसमें व्यापारी माल या सेवा के विक्रय पर उपभोक्ता से GST नहीं वशुल सकता है |
  • सरकार को सभी बिल का हिसाब देने की आवश्यता नहीं होता है |
  • प्रत्येक Quarter यानि की तीन महीने में एक बार CMP -08 GST reaturn और साल में एक बार GSTR9A फाइल करना होता है |
  • Trading Company को तीन महीने में कुल विक्रय का 1% GST भरना जरुरी है जिसमे 0.50% SGST और 0.50% CGST कटता है |
  • Service Provider Company को तीन महीने के कुल विक्रय का 6% GST भरना जरुरी है जिसमे की 3 % SGST और 3 % CGST का हिस्सा होता है |
  • इसमें Restaurant के तीन महीने के कुल विक्रय का 5% GST भरना परता है जिसमे की SGST का 2.50 %और CGST का 2.50 % हिस्सा होता है |

 

Regular Scheem :-

इसमें को कोई भी व्यापारी ले सकते है बस इसमें एक ही प्रोब्लम है इसमें अकाउंट मेन्टेन करना कठिन होता हैं Composition Scheme स्कीम के मुकाबला में सिर्फ एकाकी व्यापारी ही Composition Scheme के लेते है बाकि बाद सभी व्यापारी और कम्पनी को Regular Scheem लेना ही पड़ता है |

 

Regular Scheem के अन्तर्गत निम्नलिखित नियमो का पालन करना परता है |

  • Regular Scheem के अन्तर्गत व्यापारी को माल या सेवा के क्रय पर जो GST Pay करता है उसे इसका Input Tax Credit (ITC ) प्राप्त हो जाता है |
  • इसके अन्तर्गत व्यापारी एक राज्य से दुसरे राज्य में माल बेच सकते है |
  • इस Scheem के अन्तर्गत व्यापारी माल या सेवा के विक्रय पर GST वशुल सकता है |
  • व्यापारी को अपने Output GST में से Input GST को घटा कर बाकि GST सरकार को Pay करना परता है | (Output-Input=GST Payable)
  • व्यापारी को प्रत्येक बिल का हिसाब देना परता है |
  • इसमें व्यापारी को GSTR3B , GSTR2 , और GSTR9 Return file करना परता है |

 

Goods and Service Tax (GST) नम्बर कैसे ले ?

GST नम्बर लेने के लिए आपको GST के official वेबसाइट www.gst.gov.in  जाकर आप GST नंबर के लिए पंजीकरण कर सकते है |

 GST के लिए अनिवार्य कागजात कौन-कौन से है?

  • Pan Card
  • Aadhar Card
  • Address Proof of business Place
  • Address Proof of Residence
  • Photo
  • Mobile Number
  • Email ID

जो की अनिवार्य दस्तावेज़ होता है |

GST Return:-

जो व्यक्ति GST के अन्तर्गत रजिस्टर है उस व्यक्ति को सरकार को अपने व्यापार कर पूरा हिसाब किताब देना पड़ता है या हम कह सकते ही की GST Return एक प्रकार का दस्तावेज होता है जिसमे व्यापर का पूरा हिसाब किताब जिसके मदद से हम सरकार को अपने व्यापर का पूरा हिसाब किताब देते है | GST Return कई तरह के होते है |

निष्कर्ष :-

मित्रों आज की इस लेख में हमलोगों ने GST Kya Hai ?(What Is GST In Hindi ?) , GST से सम्बंधित लगभग सभी विषय पर चर्चा किया अगर कोई टॉपिक्स छुट गया है तो कमेंट जरुर करें और अगर यह पोस्ट अच्छा लगा तो अपने मित्रों में शेयर जरुर करें धन्यवाद |

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