कंप्यूटर,लैपटॉप और मोबाइल के डेटा को सुरक्षित कैसे रखें ||How to protect computer, laptop and mobile data in hindi ?

DEEPCHAND KUMAR
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कंप्यूटर,लैपटॉप और मोबाइल के डेटा को सुरक्षित कैसे रखें ||How to protect computer, laptop and mobile data in hindi ?
कम्प्युटर,लैपटॉप और मोबाइल के डेटा को सुरक्षित कैसे रखें ||How to protect computer, laptop and mobile data in hindi ?

मित्रों टेक्नोलॉजी के इस ज़माने में कम्प्यूटर का हमारे जीवन में बहुत बड़ा योगदान है | कम्प्यूटर के आ जाने के बाद हम किसी भी प्रकार के काम को सरल,आसानी व बिना गलती के कम से कम समय में कर सकते है | फिर चाहें वह ऑनलाइन हो या ऑफलाइन तो मित्रों जब हम किसी भी प्रकार के कम्प्यूटर डिवाइस का प्रयोग करते हैं |तो उस कम्प्यूटर में हमारा कुछ ना कुछ पर्सनल डाटा स्टोर रहता है |

तो क्या हमारे कम्प्यूटर डिवाइस का यह डाटा सुरक्षित है |या नहीं है |अगर नहीं है तो हम अपने कंप्यूटर,लैपटॉप और मोबाइल के डेटा को सुरक्षित कैसे रखें ?( How to protect computer,Laptop and mobile data in hindi ? ) आज की इस पोस्ट में हम इसी के बारे में जानेंगे तो मित्रों चलिए शरू करते है |

कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल के डेटा को सुरक्षित कैसे रखें ?( How to protect computer,Laptop and mobile data in hindi ? )

Computer Security को Cyber Security के नाम से जाना जाता है आप में बहुत सारे लोगों को Cyber Security के बारे में पता भी होगा की Cyber Security सुचना प्रोद्योगिकी की एक शाखा जिसे पूर्ण रूप से कम्प्यूटर तथा डाटा के सुरक्षा के लिए बनाया गया है |जो की निम्नलिखित तरीके से कम्प्यूटर तथा डाटा को सुरक्षा प्रदान करता है |

सिस्टम एक्सेस कण्ट्रोल (System Access Control) :-

इस प्रणाली के अन्तर्गत किसी कम्प्यूटर में डेटा का उपयोग या कम्प्यूटर के सेटिंग्स में परिवर्तन करने का अधिकार प्रदान कराया जाता है | उपयोगकर्ता जब किसी कम्प्यूटर में लॉग इन (Log in)करता है |

उसके बाद ही सिस्टम एक्सेस कण्ट्रोल तय किया जाता है | की उपयोगकर्ता कोन सा डेटा का उपयोग कर सकता है और किस डेटा का उपयोग नहीं कर सकता हैं किस सेटिंग्स में परिवर्तन करना हैं किस सेटिंग्स में परिवर्तन नहीं करना है इत्यादि |

डेटा एक्सेस कण्ट्रोल(Deta Access Control) :-

इसके अन्तर्गत कौन सा डेटा किसके कण्ट्रोल में होना चाहिए इसकी निगरानी डेटा एक्सेस कण्ट्रोल के द्वारा किया जाता है |व्यक्ति विशेष के आधार पर ही यह एक्सेस कण्ट्रोल बनाया जाता

सिस्टम और सिक्योरिटी प्रशासन(System and Security Administration):- यह कम्प्यूटर को सुरक्षित करने और सुरक्षा को तोरने का ऑफलाइन माध्यम है |

सिस्टम डिज़ाइन(System Design):- इसमें कम्प्यूटर का सुरक्षा सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर पर आधारित होता है |

कंप्यूटर सुरक्षा से सम्बन्धित महत्वपूर्ण अवयव/घटक (Important Components Related to Computer Security) :-

गोपनीयता (Confidentiality):-

इसके अन्तर्गत अवैध उपयोगकर्ता द्वारा डेटा एक्सेस न होने का पता चलता है | की कोई दूसरा व्यक्ति तो डेटा का गलत उपयोग नहीं कर रहा है |

उपलब्धता (Availability):-

उपलब्धता से आशय है की जब कोई वैध उपयोगकर्ता अपने डेटा को जब चाहे तब एक्सेस कर पाने में सक्षम हो |

प्रमाणीकरण(Authentication):-

प्रमाणीकरण से यह पता चलता है की सिस्टम को उपयोग करने वाला व्यक्ति वैध है अथवा अवैध है |

एक्सेस कण्ट्रोल(Access Control):-

इसके माध्यम से यह पता चलता है की उपयोगकर्ता को जितना संसाधन का  एक्सेस दिया गया है वह उसी संसाधन का उपयोग कर रहा है या उससे ज्यादा संसाधन का उपयोग कर रहा है या उपयोग करने की कोशिश कर रहा है |

नॉन-रेपुडिएशन(Non-Repudiation):-

इसके माध्यम यह साबित होता है की किसी भी उपयोगकर्ता द्वारा भेजे गए मैसेज को स्वंय का न होने से इन्कार कर दे |

कूटलेखन(Cryptography):-

यह एक तकनीक है जिसके माध्यम से किसी भी प्रकार की जानकारी को गुप्त तरीके से लिख कर इन्टरनेट की दुनिया में आदान-प्रदान किया जाता है इसमें डेटा को एन्क्रिप्ट और डिक्रिप्ट किया जाता है जिनके वजह वह डेटा बहुत सुरक्षित हो जाता है

कंप्यूटर सिक्योरिटी के लिए खतरनाक मालवेयर सॉफ्टवेयर (Dangerous Malware Software for Computer Security):-

वायरस (Virus):-

वायरस एक सॉफ्टवेर प्रोग्राम होता है जो हमारे कम्प्यूटर पर कण्ट्रोल कर नकारात्मक प्रभाव डालते है और विनाशकारी काम को करने के लिए हमें मजबूर कर देते है यह प्रोग्राम अपने आप को कॉपी कर सकते है |

और ऑपरेटिंग सिस्टम,फाइल्स,एप्लीकेशन इत्यादि प्रोग्राम को क्षति पहुचाने में सक्षम होता है  वायरस प्रोग्राम बहुत प्रकार के होते है जैसे –फैट वायरस ,रेजिडेंट वायरस,फाइल सिस्टम वायरस इत्यादि |

कंप्यूटर वायरस के बारें में ज्यादा जाने |

वॉर्मस(Worms):-

यह एक ऐसा प्रोग्राम होता है जो की इन्टरनेट से जुरी सभी कम्प्युटर में अपने आप को कॉपी कर लेता है इसका प्रयोग रिमोट कण्ट्रोल के लिए किया जाता हैं इसे ढूँढ पाना काफी मुस्किल होता है क्योकि या एक न दिखने वाला फाइल होता है |जैसे –I Love You,Begle,Nimda इत्यादि |

ट्रॉजन (Trojans):-

ट्रॉजन एक ऐसा प्रोग्राम होता है जो सामान्य सॉफ्टवेयर के तरह दीखता है लेकिन यह एक मैलवेयर सॉफ्टवेर होता हैं एक बार यदि प्रोग्राम आपके कम्प्युटर में इनस्टॉल हो गया तो यह आपके कंप्यूटर में Backdoors Create कर देता ही जिसके मदद से हैकर बहुत ही आसानी के साथ आपके कम्प्युटर को Remotely Control कर सकता है जैसे –Zeus,Beast इत्यादि |

स्पाईवेयर(Spyware):-

स्पाईवेयर एक मालवेयर सॉफ्टवेयर है जो बिना आपके मर्जी के आपके Computer में घुस कर आपके सारे जानकारी अपने मालिक के भेजते रहते है जिसने इस प्रोग्राम को बनाया स्पाईवेयर आपके व्यक्तिगत जानकारी को इन्टरनेट के माध्यम से संचरित सकता है गैर-कानूनी कार्यो के लिए उपयोग कर सकता है जैसे –Cool Web Search,Keylogges इत्यादि |

 

वायरस के क्या-क्या प्रभाव हो सकते है(What Are The Effects Of Virus):- अलग-अलग प्रकार के वायरस अलग –अलग प्रकार के प्रभाव डालते है |

  1. आप जो काम करते है उस पर नजर रखना |
  2. कम्प्युटर की क्षमता को कम कर देना |
  3. आपके हार्डडिस्क में स्टोर डेटा को बर्बाद कर डेटा है |
  4. आपके कम्प्युटर की सेटिंग्स को छेर –छार करना |
  5. हार्डडिस्क के साइज़ को बढ़ाना |
  6. बूट टाइम बढ़ाना इत्यादि और भी बहुत सरे प्रभाव हो सकते है |

मालवेयर के क्या-क्या प्रभाव हो सकते है| ( What Are The Effects Of Malware):-

अगर आपके कम्प्युटर में मालवेयर प्रोग्राम इनस्टॉल  हो जाता है तो आप निम्नलिखित प्रभाव से समझ सकते है की मालवेयर आपके कम्प्युटर में है या नहीं है |

  1. कम्प्युटर से फाइल्स का गायब हो जाना |
  2. स्लो चलना |
  3. माउस पॉइंटर सही न चलना |
  4. आपके कम्प्युटर का बार–बार बंद चालू होना |
  5. कोई भी सॉफ्टवेर इनस्टॉल न होना इत्यादि और भी बहुत से कारन हो सकते है |

साइबर आक्रमण के प्रमुख स्रोत कौन–कौन से है( What Are The Main Sources Of Cyber Attacks :-

डाउनलोडेबल प्रोग्राम्स (Downloadable Programs):-

जब भी आप इन्टरनेट से कोई सॉफ्टवेर या कोई फाइल डाउनलोड करते है तो उस फाइल या सॉफ्टवेयर के माध्यम से आपके कम्प्युटर में वायरस प्रोग्राम के आने की संभावना रहता है इससे बचने के लिए आप किसी  भोरेसे वाले वेबसाइट सॉफ्टवेर या फाइल्स को डाउनलोड करे |

क्रैकड सॉफ्टवेर(Cracked Software):-

इस प्रकार के सोफ्टवेयर में वायरस, वॉर्मस तथा बग्स होने के बहुत ज्यादा संभावना होता है तो अगर आप कोई सॉफ्टवेर डाउनलोड करना चाहते है तो किसी विश्वशनीय वेबसाइट से ही डाउनलोड करे |

ई-मेल अटैचमेंट(E-mail Attachments):-

इसमें ईमेल के माध्यम से वायरस को अटैचमेंट किया जाता है और आप इस मेल को जैसे ही ओपन करते है वायरस आपके कंप्यूटर में बिना आपके मर्जी के इनस्टॉल हो जाता है और आपको पता भी नहीं चलता है आलतू –फालतू ईमेल को न खोले तो बहेतर है |

इन्टरनेट(Internet):-

इन्टरनेट से जैसे ही आप अपने कम्प्युटर को कनेक्ट करते है तो समझ लीजिए आपके साथ कोई भी कनेक्ट हो सकता है इन्टरनेट पर कनेक्ट होते ही आपको अलग –अलग तरह के मैसेज आने लगता है और जैसे ही आप उसपर क्लिक करते है आपके कंप्यूटर में वायरस आने की संभावना रहता है तो आप सोच समझ कर ही की चीज पर क्लिक करे |

पेनड्राइव या सीडी(Pendrive or CD) :-

जब भी आप अपने कंप्यूटर में को अंजान पेनड्राइव या सीडी लगा कर बूट करते है या फिर उससे कोई डेटा का आदान –प्रदान करते है तो इससे भी आपके कंप्यूटर में वायरस आने का खतरा रहता है |

फिशिंग(Phishing):-

इसमें हैकर फैक वेबसाइट बना कर या ईमेल के माध्यम से लालच देकर आपके यूजरअकाउंट  पासवर्ड,क्रेडिट कार्ड डिटेल्स ,बैंक डिटेल आदि की जानकारी लेकर इन्टरनेट के माध्यम से फ्रॉड करते है | इस फ्रॉड से बचने के लिए आप  Https  वाले वेबसाइट को ही विजिट करे क्योंकी  ये लो फेसबुक ,Twitter,आदि वेबसाइट के जैसे सेम टू सेम पेज बना कर आपके पास भेजते है और जैसे ही आप उसमे आप अपना डिटेल फिल करते वह सारे के सारे डिटेल हैकर के पास चला जाता है और आपका अकाउंट हैक हो जाता है |

स्पैम(Spam):-

इसमें आपको अनचाहे मैसेज आपके भेजे जाते है और जैसे ही आप उस मैसेज पर क्लिक करते ही आपका सारा डिटेल्स हैकर के पास चला जाता है यह ज्यादा तर ईमेल के माध्यम से होता है |

स्पूफिंग (Spoofing):-

इसमें हैकर बिना आपके मर्जी के आपके कंप्यूटर में घुस कर आपके डेटा के छेर-छार करता है इसका उपयोग नेटवर्क के संसाधनों पर कन्ट्रोल बनाने के लिए भी किया जाता है |

एडवेयर (Adware):-

यह भी एक सॉफ्टवेर प्रोग्राम होता है जो की बिना आपके मर्जी के आपके कंप्यूटर स्क्रीन में विभिन्न प्रकार के एडवरटाइजिंग दिखया जाता है |

हैकिंग (Hacking):-

हैकिंग में हैकर आपके कंप्यूटर के कमियों का पता लगते है उसके बाद अटैक करते हैं हैकिंग बहुत तरह के होते है जैसे-DOS Attack ,Buffer Overflow Attack Clon Fishing ,DDos Attack etc

क्रैकिंग (Cracking):-

इसका उपयोग कंप्यूटर सॉफ्टवेर और उनसे सम्बंधित अवयव को तोरने के लिए किया जाता है इसमें वायरस , ट्रॉजन इत्यादि भी सामिल है |

कंप्यूटर सिक्योरिटी  से  सम्बंधित  खतरों  का  समाधान क्या-क्या  है ? और  इससे  कैसे  बचें ?

एन्टीवायरस सॉफ्टवेर (Antivirus Software):-

इसका प्रयोग  मालवेयर सॉफ्टवेर के खिलाफ किया जाता है एन्टीवायरस  वॉर्मस ट्रॉजन वायरस स्पाईवेयर इत्यादि को कंप्यूटर में आने से पहले ही बर्बाद कर देते है अगर आपके कंप्यूटर में एन्टीवायरस है तो समय-समय पर अपडेट जरुर करे |कुछ एन्टी वायरस के नाम –Avast,Avg,Nortan,Mefee इत्यादि एन्टीवायरस सॉफ्टवेर है |

फ़ायरवॉल (Firewall):-

फ़ायरवॉल हार्डवेयर और सॉफ्टवेर दोनों तरह के होते है यह इन्टरनेट और हमारे कंप्यूटर के दिवार के तरह कम करता है यह इन्टरनेट से आने वाला और जाने वाला दोनों तरह के डेटा को विश्लेषण करते है यह इन्टरनेट से आने वाले मालवेयर सोफ्टवेयर को कंप्यूटर में आने से रोकता है फ़ायरवॉल की और भी बहुत सारे विशेषता है |

प्रॉक्सी सर्वर (Proxcy Server):-

इसके माध्यम से आप इन्टरनेट पर असली पहचान को छुपा सकते है इसे एप्लीकेशन लेवल गेटवे  भी कहा जाता है यह नेटवर्क में आने –जाने वाले डेटा को इंटरसेप्ट का काम करता है |

एप्लीकेशन गटेवे (Application Gatway):-

यह एक विशेष प्रकार के एप्लीकेशन के लिए सुरक्षा प्रदान करने का काम करता है इन एप्लीकेशन में फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल तथा टेलनेट की सेवाएँ सम्मलित होते है |

डेटा कम्युनिकेशन क्या है ?

कम्प्युटर सुरक्षा के सम्बंधित कुछ अन्य जानकारी (Some other information related to computer security)-

  1. Https वाले वेबसाइट पर ही विजिट करें क्योकि इसमें डेटा का संचरण एन्क्रिप्ट रूप में होता है
  2. हो सके तो browser मे  Incoginito mode प्रयोग करे इसमें आपक हिस्ट्री सेव नहीं होता है |
  3. अगर आप किसी भी प्रकार के Tranjection करते है तो इसमें आप वर्चुअल कीबोर्ड का प्रयोग करे आप देखे होंगे की किसी भी बैंक के पेमेंट गेटवे पर जाते है तो वहाँ पर आपको वर्चुअल कीबोर्ड देखने को मिलेगा क्योकि वर्चुअल कीबोर्ड ज्यादा सिक्योर होता है |
  4. Spam Mail को ओपन न करे |
  5. अपने कम्प्युटर के हार्डडिस्क में लॉक लगा का रखे इसके लिए कम्प्युटर में Bit locker दिया गया है
  6. Antivirus का प्रयोग करे और इसे समय –समय अपडेट करते रहे |
  7. कम्प्युटर  समय –समय अपडेट करते रहे
  8. अपने फाइल में पासवर्ड लगाये |
  9. आप अपने सिस्टम का Backup जरुर रखे |
  10. अपने ब्राउज़र के हिस्ट्री को क्लियर जरुर कर क्योकि अगर आप हिस्ट्री क्लियर नहीं करते है तो कोई भी हिस्ट्री देख कर आपके बारे सब अंदाजा लगा सकता है |
  11. जहाँ तक हो सके C Drive को न भरने दे और अपने डेस्कटॉप पर ज्यादा mb का फाइल न रखे इससे c ड्राइव भर जाता है और कम्प्युटर स्लो चलने लगता है
  12. अगर आप अपने कम्प्युटर को ज्यादा सिक्योर रखना चाहते है तो Bios Password लगाये इससे होगा यह को जैसे ही आपके कंप्यूटर को कोई ऑन करेगा सबसे पहले पासवर्ड पूछा जायेगा |

निष्कर्ष :-

मित्रों आज की इस लेख में हमलोगों ने कम्प्यूटर सुरक्षा से सम्बंधित कई विषय पर चर्चा किया जैसे-कम्प्युटर, लैपटॉप और मोबाइल के डेटा को सुरक्षित कैसे रखें (How to protect computer,Laptop and mobile data in hindi ?) ,साइबर आक्रमण के मुख्य स्रोत कौन- कौनसे हैं?

कम्प्यूटर सिक्योरिटी के लिए खतरनाक मालवेयर सॉफ्टवेयर कौन- कौन से है ? ,कम्प्यूटर सिक्योरिटी से सम्बंधित खतरों का समाधान क्या–क्या है ? और इससे कैसे बच सकते है ? और भी कम्प्यूटर सिक्योरिटी के सम्बंधित विषय पर चर्चा किया | 

मित्रों मुझे आशा है की आपको कम्प्यूटर सुरक्षा के बारे में अच्छा खाशा जानकारी मिल गई होगी |
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